बुधवार, 25 सितंबर 2019

जहाँ अंत में / हमें अपनी ख़ुशी मिलेगी (एन बोयर, २०११)


क्रांतियों की कहानी, धुंधले विचारों की कहानी है
कंधे उचकाएँ, न उचकाएँ,
खड़े रहें, बिना सोच-विचार कुछ करें,
सोचते हुए कुछ करें, लिखे जाएं या न लिखे जाएं,

इतस्ततः घूमती औरत या लड़की हों,
जेब में धूल लिए एक औरत या लड़की
          चौकीदार की आँख में झोंकने को
                        धुएँ का एक बादल उड़ाने को

कोई अनजानी सुफैद बदली
जंगम और स्थावर शरीरों के बीच
किसी आम अकथ की,
          कहानी-सरीखी अकहानी
प्यारा-सा चलताऊ अनगढ़ कुछ --
                                             हथियार बने या नहीं, नहीं, नहीं.

कितना कम सोचा गया है श्वास लेने को
चलने को और न चलने को
मस्ती करना चाहने और बस, मस्ती कर लेने को
हर कोई बस स्वर्ग को झपटा चाहता है
          और कोई स्कूल में सशरीर नहीं है अब.

क्रांतियों की कहानी, हठधर्मियों की कहानी है
          उनके लड़खड़ाते दुराग्रहों पर
                                      टेसू बहाती:

सटीक चीज़ कहना बेवकूफ़ी है आजकल
विचार हैं नदी के पानी पर छड़ी मारते से

इंसान का हेतु नहीं रहा एक प्रिंटर का कागज़
अनगढ़ है घड़ा ही

(अनुवाद: आशीष बिहानी)


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