सोमवार, 18 जुलाई 2016

समां



कृषि मंडी के दरवाजे पर
चेचाणी जी का पग पड़ गया
बिल्ली की टट्टी पर
गुस्से के मारे उन्होंने अपने करम को गलियाँ दीं
आज नहीं निहार पाएंगे वो
घर के रास्ते पर
शाम की छाँव में लहराते पेड़
और सड़क के दोनों किनारों पर
अभ्रक की चमक