सोमवार, 19 जून 2017

मेरे पापा बहुत अच्छे पेड़ हैं


(१)
मेरे पापा बहुत अच्छे पेड़ हैं
उनका हमेशा से सपना था
कि हम अच्छे पेड़ बनें
पर कभी हमसे कहा नहीं

उन्होंने कहा
कि तुम विद्रोह करो
पर शांति से
उनके उघड़ेपन ने हमें भीगने नहीं दिया
उनके कठोर हाथों ने हमारे जीवन में घर्षण नहीं पैदा किया
उनके बाल हवा में सरसराकर भी बिखरते नहीं
उनकी मूंछ कभी चाय से गीली नही होती.

(२)
मेरे पापा बहुत अच्छे पेड़ हैं
घंटों भरी भरकम रजिस्टर लिए बैठे-बैठे
उनके पैर लकड़ी के काउंटर में जड़ें जमा लेते हैं
सहज कर देते हैं वो
लोगों का आना और बैठना
और प्रलाप करना
वो सुबह जम्हाई लेते हैं तो
शेष बची थकान
पीठ से जड़ों की मिट्टी बांधे निकल आती है

(३)
मेरे पापा बहुत अच्छे पेड़ हैं
वो टस से मस नहीं हुए
मृत्यु और ऊब की डूब में
उनकी जड़ों में गांठें हैं
संस्थागत ऋण
रीति-रिवाज़
भूमंडलीकरण और व्यक्तिवाद
नियम-कानून
व्यापार और विचार
कहीं गहरे दबे हैं
भयावह युद्ध की राख
किसी के धुंधले कड़वे बोल
कई समानांतर विश्व
जमाए हुए पकड़
पानी की खोज में
बहुत गहरे

गुरुवार, 15 जून 2017

चन्द्रकला: बारिश

आंधी के झकझोरे पेड़
ने झाड़ दी
घंटों से संजोई बारिश
भिगो दिया मुझे
जैसे, चन्द्रकला, तुम
फट पड़ती हो खिलखिलाहट से
मेरा कोई उद्दंड मज़ाक सुनकर
बरसा देती हो सैकड़ों थपकियाँ

जैसे थपथपाकर मेरी दादी माँ
बाजरे की लोई को
बदल देती हैं
नम सतह वाली चपटी रोटी में
वैसे ही चलता हूँ मैं तुम्हारी बगल में
स्वेद-अच्छादित
अवाक्,
मुस्काता बेढ़ब

शनिवार, 3 जून 2017

एकळा बळै

एकळा बळै सगळा
अबिगत कोई रेख खींच गयो
खेत-खेजड़ा-टेसण-ढोर-मिनख सब

साथ के चीज रो है रे
पड़े है अर उडे है
धोखेबाज़ चीज़ है रेत बड़ी
म्हें रमता धूणी री तरियां
घड़ी भर में सा छूमंतर सा
कोई नदी अठे खेले कोनी, प्रेम सूं बतियावण ने
बारला बके करे
रंग थारा थार रा बड़ा जोरदार छे
रंगां सूं आँख्यां आली करां, लाडी
इण भट्टे में रचीज्या हा के?
बळै सगळा
एकळा

गाँव-गवाड़ रे
पाणी में फ्लोराइड मरे
कुसमय, गीगला, कुसमय
म्हारा दांत पीळा होग्या
कमर झुक गी
हाडकां में जोर रह्यो कोनी
दो छाँट ने अडीकता
आभो भी सावळ टिके नईं
बळतां ने कोई शीतळ प्या दे
बावळा
एकळा बळै सगळा

पण
देस सूं बारे किसो धन गड्यो है
घणा देख्या रे शार थारा
रुळ ल्यो सब सड़कां पर
तपत में
पाणी रा भी पईसा लेवे
धी गा काड़
मिनख सो मिनख है के कोई बठे
जिन्ने देखो हल्लो, गीगला
ढोर ने हांके इयाँ आदमी हांके
तूँद आगले रे ढूँगाँ में ठोक अर खड़िया है लेणां में
अड़ मरूं अर धड़ मरूं
जीण ने जीव ने जग्याँ कोनी
जो चीनी हवा पूगे
बा सूंघ अर ई जमारो अस्पताळ पूग जावतों
भाईजी-भाईजी करतां गळे मायां जाळ पड़ग्या
एकळा बळै सगळा, गीगला
सारे जमारे में
एकळा बळै