शनिवार, 3 जून 2017

एकळा बळै

एकळा बळै सगळा
अबिगत कोई रेख खींच गयो
खेत-खेजड़ा-टेसण-ढोर-मिनख सब

साथ के चीज रो है रे
पड़े है अर उडे है
धोखेबाज़ चीज़ है रेत बड़ी
म्हें रमता धूणी री तरियां
घड़ी भर में सा छूमंतर सा
कोई नदी अठे खेले कोनी, प्रेम सूं बतियावण ने
बारला बके करे
रंग थारा थार रा बड़ा जोरदार छे
रंगां सूं आँख्यां आली करां, लाडी
इण भट्टे में रचीज्या हा के?
बळै सगळा
एकळा

गाँव-गवाड़ रे
पाणी में फ्लोराइड मरे
कुसमय, गीगला, कुसमय
म्हारा दांत पीळा होग्या
कमर झुक गी
हाडकां में जोर रह्यो कोनी
दो छाँट ने अडीकता
आभो भी सावळ टिके नईं
बळतां ने कोई शीतळ प्या दे
बावळा
एकळा बळै सगळा

पण
देस सूं बारे किसो धन गड्यो है
घणा देख्या रे शार थारा
रुळ ल्यो सब सड़कां पर
तपत में
पाणी रा भी पईसा लेवे
धी गा काड़
मिनख सो मिनख है के कोई बठे
जिन्ने देखो हल्लो, गीगला
ढोर ने हांके इयाँ आदमी हांके
तूँद आगले रे ढूँगाँ में ठोक अर खड़िया है लेणां में
अड़ मरूं अर धड़ मरूं
जीण ने जीव ने जग्याँ कोनी
जो चीनी हवा पूगे
बा सूंघ अर ई जमारो अस्पताळ पूग जावतों
भाईजी-भाईजी करतां गळे मायां जाळ पड़ग्या
एकळा बळै सगळा, गीगला
सारे जमारे में
एकळा बळै

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