धरती की बिवाईयों से शब्द रिस रहे थे, मैंने जाल की उधेड़बुन पर चढ़ा दिए हैं।
सोमवार, 26 अक्टूबर 2015
मेरी कविता "शाप" का वीडियो
मेरी 58 कविताओं का संग्रह "अन्धकार के धागे" हिन्द-युग्म द्वारा प्रकाशित किया गया है. यदि आपको यह कविता पसंद आती है तो इंफीबीम से संकलन की प्रति अवश्य आर्डर करें.
यहाँ में संकलन में से एक कविता, 'शाप' पढ़ रहा हूँ, गौर करें.
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