मैं बैठ गया
एक सर्वत्रगामी बस की सभी सीटों पर
देखे कुछ हज़ार भिखारी बुड्ढे...
मृतप्राय
जिनकी दायीं आंख में एक दरार थी
जिनके कम्बलों में छेद थे
जिनकी लाशें उठने पर
धरती के कोने हो गए समतल
मिट गए दयनीय मुस्कुराहटों के गुत्थीदार गुम्बे
एक सर्वत्रगामी बस की सभी सीटों पर
देखे कुछ हज़ार भिखारी बुड्ढे...
मृतप्राय
जिनकी दायीं आंख में एक दरार थी
जिनके कम्बलों में छेद थे
जिनकी लाशें उठने पर
धरती के कोने हो गए समतल
मिट गए दयनीय मुस्कुराहटों के गुत्थीदार गुम्बे
(बुढ़ापा - ५)
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