गर्म पत्थरों और बारिश
के मिलन से
छस्स-छस्स करती दोपहर में
पसीने से नहाई हुई
बड़-बड़ करती औरत
दे मारती है
एक भारी हथौड़ा
ठण्डी वास्तविकता पर
और खेंचती है
खयालों के तार
जिनसे उड़ाएगी पतंगें
जो कभी न कटेंगी
कभी न गिरेंगी
बनाएगी
अवध्य-अभेद्य हवाई किले
और अमरत्व देने वाला सूट (साँचा)।
(दुनिया के बाशिंदे-१)
के मिलन से
छस्स-छस्स करती दोपहर में
पसीने से नहाई हुई
बड़-बड़ करती औरत
दे मारती है
एक भारी हथौड़ा
ठण्डी वास्तविकता पर
और खेंचती है
खयालों के तार
जिनसे उड़ाएगी पतंगें
जो कभी न कटेंगी
कभी न गिरेंगी
बनाएगी
अवध्य-अभेद्य हवाई किले
और अमरत्व देने वाला सूट (साँचा)।
(दुनिया के बाशिंदे-१)